'कुल्टा पत्नी धोखेबाज मित्र जवाब देने, वाला नौकर और घर में सर्प रखने वाला, व्यक्ति मृत्यु के साथ रहता है। Chankya '
अज्ञान के समान दूसरा, कोई बैरी नहीं। Chankya
दु:ख यदि मौत के लिए है, तो वह अज्ञानता की, कोख से पैदा होता है। Chankya
परिश्रम की चाबी ही, किस्मत का द्वार खोलती है | Chankya
श्रम द्वारा प्राप्त संपत्ति, ही स्थाई होती है। Chankya
किसी मजबूर इंसान का मजाक उड़ाने का, ख्याल आए तो उसके स्थान पर, स्वयं को रख कर देखो। Chankya
जो पत्नी हर समय क्रोध करती रहे, उसे त्याग देना ही सुखकर है। Chankya
संसार में न तो कोई शत्रु है नहीं कोई मित्र है, उनके प्रति हमारे विचार मित्र और, शत्रु का अंतर करते है। Chankya
ईमानदार का हर काम, खुलेआम होता है। Chankya
किसी भी कार्य को करने, में जितनी जल्दी करोगे, उतनी ही देर लगेगी। Chankya
सुंदरता बढ़ जाती है, यदि आप में, भी गुण हो। Chankya
विवेकी को पाकर गुण सुंदरता को प्राप्त, होते हैं सोने में जड़ा हुआ रत्न अत्यंत, शोभित होता है। Chankya
दया धर्म की, जननी है। Chankya
जैसे चंद्रमा चांडाल के घर भी रोशनी देता है, वैसे ही सज्जन पुरुष गुण हीन प्राणियों, पर भी दया करते हैं। Chankya
जिनके हृदय में सदैव परोपकार की, भावना रहती है उसकी आपदाएं, समाप्त हो जाती हैं और पग-पग, पर धन की प्राप्ति होती है | Chankya
'शरीर ठीक रहते हुए ही इसका, सदुपयोग कर लेना चाहिए | Chankya'
ईर्ष्या असफलता का दूसरा नाम है, ईर्ष्या करने से अपना ही, महत्व कम होता है | Chankya
जो विनम्र है वहीं, विश्व विजयी है। Chankya
कठिन काम पड़ने पर सेवक की, संकट के समय भाई बंधु की, आपातकाल में मित्र की और धन, के नष्ट हो जाने पर स्त्री की, परीक्षा होती है। Chankya
प्रशंसा से बचें यह आपके व्यक्तित्व, की अच्छाइयों को घुन की, तरह चाट जाती है | Chankya
धूर्त व्यक्ति अपने स्वार्थ के , लिए दूसरों की सेवा करते हैं। Chanakya
एक अकेला पहिया , नहीं चला करता। Chanakya
अपने से अधिक शक्तिशाली, और समान बल वाले से , शत्रुता न करे। Chanakya
कठोर वाणी अग्निदाह से भी , अधिक तीव्र दुःख पहुंचाती है। Chanakya
भाग्य पुरुषार्थी के , पीछे चलता है। Chanakya
चंचल चित वाले के , कार्य कभी समाप्त नहीं होते। Chanakya
दोषहीन कार्यों का , होना दुर्लभ होता है। Chanakya
सत्य भी यदि अनुचित है , तो उसे नहीं कहना चाहिए। Chanakya
ढेकुली नीचे सिर झुकाकर ही , कुँए से जल निकालती है। अर्थात कपटी या पापी व्यक्ति सदैव , मधुर वचन बोलकर अपना काम निकालते है। Chanakya
सोने के साथ मिलकर चांदी भी , सोने जैसी दिखाई पड़ती है , अर्थात सत्संग का प्रभाव , मनुष्य पर अवश्य पड़ता है। Chanakya
'आलसी का न वर्तमान होता है , न भविष्य। Chanakya'
अपने स्थान पर बने रहने से , ही मनुष्य पूजा जाता है। Chanakya
अन्न के सिवाय कोई , दूसरा धन नहीं है। Chanakya
भूख के समान कोई , दूसरा शत्रु नहीं है। Chanakya
शत्रु के गुण को भी , ग्रहण करना चाहिए। Chanakya
विद्या ही निर्धन का धन है। Chanakya
सांप को दूध पिलाने से, विष ही बढ़ता है , न की अमृत । Chanakya
जो धैर्यवान नहीं है , उसका न वर्तमान है , न भविष्य । Chanakya
मित्रों के संग्रह से , बल प्राप्त होता है । Chanakya
एक ही देश के दो शत्रु , परस्पर मित्र होते है । Chanakya
वन की अग्नि चन्दन की लकड़ी को , भी जला देती है अर्थात , दुष्ट व्यक्ति किसी का भी , अहित कर सकते है । Chanakya
शत्रु की दुर्बलता जानने तक , उसे अपना मित्र बनाए रखें। Chanakya
सिंह भूखा होने पर भी , तिनका नहीं खाता। Chanakya